प्रायः अनुभव किया गया है कि हमारे देश की कई सारी सामाजिक संस्थाओं के नाम ख़ास तौर पर होस्टलों के नाम जातियों पर रखे गये मिलेंगे। मसलन जाट होस्टल, राजपूत होस्टल, ब्राह्मण छात्रावास, मीणा छात्रावास, यादव होस्टल आदि-आदि ।

चौंसठ कश्मीरी पंडितों ने अनुच्छेद 370 हटाये जाने के विरोध में एक वक्तव्य जारी किया है। ये वही लोग हैं जो हर-हमेशा लाभ के पदों पर रहे हैं और पण्डितों के विस्थापन का दंश जिन्होंने कभी झेला नहीं।

पांच अगस्त २०१९ का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में स्वर्ण-अक्षरों में लिखा जायगा। जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली संविधान की धारा ३७० को हटाने के प्रस्ताव को राज्य-सभा ने अपनी मंजूरी दे दी। सचमुच, यह एक ऐतिहासिक फैसला है जिस पर कई दिनों से कई तरह की अटकलें लग रही थीं।

30 जुलाई 2019 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया। तीन तलाक विधेयक को राज्य सभा ने अपनी मंजूरी दे दी। लोक सभा से इस बिल को पहले ही मंजूरी मिल गयी थी। सचमुच, महिला सशक्तीकरण की दिशा में उठाया गया यह एक अभूतपूर्व कदम है! तुष्टीकरण के चलते जो न्याय पिछली सरकारें शाहबानो को नहीं दे पायीं थी, वह चिरप्रतीक्षित न्याय वर्तमान सरकार ने शाहबानो के हवाले से मुस्लिम महिलाओं को लगभग 34 वर्ष बाद दिला दिया।

किसी ज़माने में संपादक की ओर से लेखक के लिए यह फौरी हिदायत होती थी कि भेजी गई रचना मौलिक, अप्रकाशित हो और अन्यत्र भी न भेजी गई हो। पता लिखा/टिकट लगा लिफाफा रचना के साथ संलग्न करना आवश्यक होता था अन्यथा अस्वीकृति की स्थिति में रचना लौटाई नहीं जा सकती थी। रचना के प्रकाशन के बारे में लगभग तीन माह तक जानकारी हासिल करना भी वर्जित था।रचना छपती तो मन बल्लियों उछलता और अगर लौट आती तो उदासी और तल्खी कई दिनों तक छाई रहती।

सरकार बदलने के साथ ही बहुत सारी बातें अनायास ही बदल जाती हैं या अमल में आती हैं. नयी नीतियाँ, नये नियम, नये आदेश, नये लोग, और नयी समझ का आगाज़ होता है. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है क्योंकि “तिल तिल नूतन होय” वाला आप्त-वचन प्रकृति और राजनीति दोनों पर लागू होता है.

चीन पर पड़े अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण उसकी हठ-धर्मिता को झुकना पड़ा और यूएन ने कुख्यात आतंकी मसूद अजहर को 'ग्लोबल टेररिस्ट' घोषित कर दिया। इसे भारत की कूटनीतिक विजय ही माना जाएगा। कुछ मित्रों का कहना है कि मसूद को बीजेपी की सरकार ने ही तो आतंकियों को सौंप दिया था आदि।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती जेकेएलएफ के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की जेल से रिहाई के लिए गुहार लगा रही है। (शायद धरने पर भी बैठी है।) यह वही अलगाववादी नेता यासीन मलिक है जिसपर 25 जनवरी 1990 में भारतीय वायुसेना कर्मियों पर आतंकी हमले में शामिल होने का आरोप है। इस हमले में वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना सहित चार वायुसेना कर्मियों की मौत हो गई थी, जबकि 10 वायुसेना कर्मी जख्मी हो गए थे। और भी कई संगीन आरोप हैं इस अलगाववादी मलिक पर।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद विपक्ष ने ईवीएम के इस्तेमाल पर प्रश्न चिन्ह लगाया है। रविवार को 21 पार्टियों ने नई दिल्ली में लोकतंत्र बचाओ बैनर के तले प्रेस कांफ्रेंस कर ईवीएम को लेकर गंभीर आरोप लगाए। विपक्षी दलों के नेताओं ने चुनाव आयोग को ईवीएम की गड़बड़ी के विरोध में ज्ञापन दिया। निस्तारण नहीं हुआ तो मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की घोषणा भी की।