भारत एक विशाल देश है जहाँ विभिन्न धर्मों व संप्रदायों को मानने वाले लोग रहते हैं। अतः यहाँ मनाए जाने वाले त्यौहार और पर्व भी अनेक हैं । ये त्यौहार जहाँ हमारे जीवन में आनंद, उमंग और उत्साह का संचार करते हैं, वहीं हमारी अद्भुत,अनमोल और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी रेखांकित करते हैं । 

It goes without saying that the significance and relevance of translation in our daily life is multidimensional and extensive. It is through translation we know about all the developments in communication and technology and keep abreast of the latest discoveries in the various fields of knowledge, and also have access through translation to the literature of several languages and to the different events happening in the world.

It was really heartening to learn that UAE schools have started teaching Moral Education subject from this academic year. The national initiative, originally announced in 2016, deserves all the praise from all those who know how significant and productive it is to include Moral Education in school level curriculum. The initiative signifies the foresightedness and concern of state-of-the-art UAE establishment for its future generation.

Democracy is the best form of governance, more so, because the significant part of this form of government is: it is of the people, by the people and for the people. Essentially it is a government comprised of common people chosen by common people.

हिंदी-दिवस अथवा हिंदी-सप्ताह आदि मनाने के दिन निकट आ रहे हैं। सरकारी कार्यालयों में, शिक्षण-संस्थाओं में, हिंदी-सेवी संस्थाओं आदि में हिंदी को लेकर भावपूर्ण भाषण व व्याख्यान, निबन्ध-प्रतियोगिताएं, कवि-गोष्ठियां, पुरस्कार-वितरण आदि समारोह धडल्ले से होंगे। मगर प्रश्न यह है कि इस तरह के आयोजन पिछले पैंसठ-सत्तर सालों से होते आ रहे हैं, क्या हिंदी को हम वह सम्मानजनक स्थान दिला सके हैं जिसका संविधान में उल्लेख है?

भारत के भीड़ तंत्र, ख़ास तौर पर अपने गुरुओं पर अपार आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं की मानसिकता की थाह लेना सरल कार्य नहीं है। जाने यह सबक इन श्रद्धालुओं ने कहां से सीख लिया है कि दुष्कर्म करने वाले बलात्कारी और कानून द्वारा घोषित अपराधी के पक्ष में खड़े हो जाओ, आगजनी और उपद्रव करो और सत्ता को चुनौती दो। भर्त्सना अथवा निंदा करने के बजाय अपराधी के पक्ष में उतरो और सामाजिक मूल्यों और न्याय-प्रक्रिया की धज्जियां उड़ाओ।

बहुत पहले की बात है. सम्भवतः १९८० के आसपास की. मेरी पुस्तक ‘कश्मीर की श्रेष्ठ कहानियां’ राजपाल एंड संस, दिल्ली से छप रही थी. मेरा पोस्टिंग तब नाथद्वारा (उदयपुर) में था. समय निकाल कर मैं दिल्ली आया. राजपाल एंड संस में उस समय हिंदी का काम महेंद्र कुलश्रेष्ठजी देखते थे. मेरी पाण्डुलिपि के बारे में बातचीत हो जाने के बाद हम दोनों के बीच ‘पुस्तक-प्रेम’को लेकर चर्चा चली.

आज हर शिक्षित/अर्धशिक्षित/अशिक्षित की जुबां पर ये शब्द सध-से गए हैं। स्टेशन, सिनेमा, बल्ब, पावर, मीटर, पाइप आदि जाने और कितने सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी के हैं मगर हम इन्हें अपनी भाषा के शब्द समझ कर इस्तेमाल कर रहे हैं।

चीन के नोबेल शांति-पुरस्कार विजेता लियू शियाओबो (Liu Xiaobo) का पिछले दिनों 61 साल की उम्र में निधन हो गया. लियू शियाबो को चीन में लोकतंत्र के समर्थन में आवाज उठाने के लिए जाना जाता है. माना जाता है कि लोकतंत्र के समर्थन में आवाज बुलंद करने के लिए चीनी सरकार ने उन्हें काफी प्रताड़ित किया. 2009 में उन्हें 11 साल जेल की सजा सुनाई गई थी. इसके साल भर बाद 2010 में उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार मिला. उन्हें यह सम्मान लेने नॉर्वे भी नहीं जाने दिया गया. पुरस्कार समारोह के दौरान सम्मान में उनकी कुर्सी को खाली रखा गया था.