इजराइल आजकल चर्चा में है. इस देश ख़ास तौर पर यहूदियों के साथ हमारे देश के मैत्रीपूर्ण संबंधों की पुरानी परम्परा रही है. दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों को प्रगाढ़ करने वाली एक भावपूर्ण घटना आज नेट पर पढ़ने को मिली जिसे पढ़कर मन गदगद हुआ और अपने देश (भारत) की महानता पर गर्व हुआ.

इस बार की यू.ए,ई. यात्रा के दौरान शारजाह में पत्रकारिता के कार्य से जुड़े श्री ‎इमरान ‎मुजीब से मुलाक़ात करने का सुंदर योग बना। दरअसल, मुजीब साहब ने मेरे कुछ लेख ‘पटना डेली’ में देखे-पढ़े थे और उन्हें पसंद किया था। वे मूलतः बिहार से हैं और  पिछले लगभग 20 वर्षों से शारजाह से प्रकाशित होने वाले ‘गल्फ टुडे’ में स्पेशल कोरेस्पोंडेंट के पद पर कार्य कर रहे हैं। जब उन्हें यह ज्ञात हुआ कि मैं इस समय अजमान/यू.ए.ई. में हूँ तो ‘पटना डेली’ के सम्पादक से मेल द्वारा सम्पर्क कर मेरा पता दरियाफ्त किया। ‘पटना डेली’ के सम्पादक ने यह मेल मुझे फॉरवर्ड किया और इस तरह से हमारी मुलाकात का योग बन गया।

बात शिमला के इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ एडवांस स्टडी की है।"डेलविला" नाम से जो आवास मुझे आवंटित किया गया,उसमें दो फ्लैट थे। नीचे वाले फ्लैट में मैं अकेला रहता था और ऊपर वाले  फ्लैट में इंस्टिट्यूट के पूर्व अधिकारी सूद साहब अपने परिवार सहित रहते थे। पति-पत्नी, दो लड़कियाँ और एक बूढ़ी माँ। माँ की उम्र अस्सी से ऊपर रही होगी। काया काफी दुबली। कमर भी एकदम झुकी हुई। वक्त के निशान चेहरे पर साफ तौर पर दिखते थे। सूद साहब की पत्नी किसी सरकारी स्कूल में अध्यापिका थी। दो बेटियों में से एक कॉलेज में पढ़ती थी और दूसरी किसी कम्पनी में सर्विस करती थी। माँ को सभी "अम्माजी" कहते थी। मैं भी इसी नाम से उसे जानने लग गया था।

Broadly speaking, wholesome and cordial family bonds are the result of good and appropriate parenting. As a matter of fact, parenting is the process of promoting and supporting the physical, emotional, social, and intellectual development of a child from his infancy to adulthood. It’s the parents who are the real personality-builders, counsellors and mentors of their children.

देश भर में ९ जून २०१७ को कबीर-जयंती मनाई गयी। 

कबीर (१५वीं शताब्दी) भक्तिकालीन भारतीय साहित्य और समाज के ऐसे युगचेता कवि थे जिनकी हैसियत आज भी एक जननायक से कम नहीं है। अपने समय के समाज में परंपरा और शास्त्र के नाम पर प्रचलित रूढ़ियों, धर्म के नाम पर पल रहे पाखंड-आडंबर, सामाजिक शोषण-असमानता जैसी कई बुराइयों के वे घोर विरोधी थे और इनके विरुद्ध डट कर बोले।

भारतीय काव्य-शास्त्र में आचार्य मम्मट को सम्माननीय स्थान प्राप्त है। मम्मट कश्मीरी पंडित थे और मान्यता है कि वे नैषधीय-चरित के रचयिता कवि हर्ष के मामा थे। वे भोजराज के उत्तरवर्ती माने जाते है। इस हिसाब से उनका काल दसवी शती का उत्तरार्ध बैठता है।

अशांति, विभ्रम और संशयग्रस्तता की स्थिति में किसी भी भाषा के साहित्य में उद्वेलन, विक्षोभ, चिन्ताकुलता और आक्रोश के स्वर अनायास ही परिलक्षित होते हैं। कश्मीरी के ‘विस्थापन साहित्य’ में भी कुछ इसी तरह का परिदृश्य नजर आता है।

Fathers need to be more friendly towards their children more so when they attain the age of sixteen, famous Indian teacher-turned politician Chanakya, (4th Century BC) known for his diplomacy and knowledge on worldly affairs, is attributed to have said.