गुंडे जहरीली लता के बीज की तरह हमेशा मौके की तलाश में रहते हैं. परिस्थिति अनुकूल होने पर ये पनप कर अपना विष फैलाना शुरू करते हैं. भाजपा ने गो रक्षा को राजनीतिक मुद्दा बना कर समाज के गुंडों को पनपने का मौका दे दिया. अब जब गुंडे सक्रिय हो गए हैं तो मोदी जी ऊंचे मंच पर से उनकी भर्त्सना कर रहे हैं.
यह आग अनजाने में भाजपा की ही लगाई हुई है. गोरक्षा, शाकाहारिता और अहिंसा की तरह सदियों बाद हिन्दू धर्म का हिस्सा बना दी गयीं. पुराने हिन्दू पद्धति में इन तीनों का कोई स्थान नहीं था. चलिए पशुओं के साथ क्रूरता को रोकते तो बात समझ में आती पर ये बेवकूफी वाला मुद्दा बना कर भाजपा ने न चाहते हुए भी हिन्दू गुंडों को निर्दोष मुसलमानों को परेशान करने की लाइसेंस दे दी है. इस मुद्दे पर भाजपा को थोड़ी चिंतन करने की जरूरत है. ये तो रही भाजपा के जिम्मेदारी की बात. आगे चलें....
आम हिन्दू की क्या प्रतिक्रिया हुई यह देखने वाली चीज़ है. यह प्रतिक्रिया इस तस्वीर में स्पष्ट रूप से विदित है:
आम हिन्दुओं ने जुलूस निकाल कर यह स्पष्ट कर दिया की वे इन गुंडों के साथ नहीं हैं और इन घिनौने अपराधों की भर्त्सना करते हैं. क्या याजीदियों के क़त्ल और बलात्कार के बाद मुसलमानों ने ऐसा जुलूस निकाला था? नहीं. क्या किसी ने ज़ाकिर नायक को ओसामा को हीरो बताने पर उसे अपने धर्म से अलग-थलग करने की कोशिश की? नहीं.
यहाँ मुसलमानों के लिए एक सबक है. धर्म से ऊपर जमीर और विवेक होते हैं. इन दोनों के साथ आप पैदा होते हैं. धर्म तो समाज और परिवार देता हैं. आम मुसलमान जो इस्लाम के नाम पर किये गए कत्ल, बलात्कार और अत्याचार सुन कर चुप रहता है, वह अपनी चुप्पी से अपने आपको उन गुंडों के घिनौने हाकरों का भागीदार बना देता है. समाज में शांति रखने की जिम्मेवारी आम आदमी से ज्यादा धर्मगुरुओं को होती है. मुल्ले, मौलाना, साधु और साधविओं की हरकतें हाल में निहायत ख़राब रहीं हैं. मैं हर पढ़े लिक्खे मुसलमान को यही पैगाम देना चाहता हूँ की अपने विवेक और जमीर की सुनें और मुल्ले-मौलानाओं की बातों में सही गलत का फर्क करना सीखें – जैसे इस तस्वीर के हिन्दू कर रहे हैं. अगर नहीं करोगे तो फिर झेलो ये खून खराबा.