सावन का महीना चल रहा है. हर तरफ शिव भक्तों की गंगा बह रही है चाहे वह सड़के हो या आभासी दुनिया. पूरे सावन यह धूम मची रहेगी. इस पावन महीने में सोमवार का खास महत्व होता है. शिवभक्त हर सोमवार पूजा-पाठ करते हैं तभी कुछ अन्न ग्रहण करते हैं. आज सावन का तीसरा सोमवार है. अपने स्कूल में बैठा अपना मोबाइल चला रहा था तभी एक संदेश आया -

"पहला सोमवार - चन्द्रयान - 2

दूसरा सोमवार - तीन तलाक बिल 

तीसरा सोमवार - कश्मीर निपटारा

अभी एक सोमवार बाकी है

हर हर महादेव"

उसके बाद एक के बाद एक अपडेट्स आने लगे.  खबर मिलते ही अपने एक दोस्त को मैसेज आगे भेजने लगा. साथ बैठे सहकर्मियों से किस लहजे में यह बात कहूं समझ नहीं आ रहा था. एक अजीब माहौल बना हुआ है हमारे देश में कि लोग अल्पसंख्यकों को शक की नजर से देखते हैं. अगर मैं कहता, 'वाह मजा आ गया, धारा 370 हटा दिया गया, तो लोग सोचते कि झूठी हंसी हंस रहा हूं. अब अगर चुप रहूं तो अंदर ही अंदर दुखी कहा जाऊंगा.

घर पहुंचकर आराम ही कर रहा था कि मेरे अजीज मित्र का कॉल आता है. बिल्कुल भोजपुरिया अंदाज में कहता है, "का हो, का हाल बा? " मैं उसका मंशा समझ गया. मित्र ने फिर कहा कुछ लिखो फेसबुक पर. सहमति जताते हुए अपनी इच्छा भी बताई और रात तक इंतजार करने को कहा.

अब देखिए ना, बस कुछ ही दिनों पहले की बात है. हमारी एक सबसे अजीज महिला मित्र का कॉल आया. संयोग से वह भी एक शिक्षिका है. तिवारी जी ने कहा जानते हैं मुस्तफा, आज मेरे स्कूल में एक अजीब घटना घटा. मैंने कहा क्या हो गया भाई. तिवारी जी मुझे प्रेम से मुस्तफा कहती हैं. तिवारी जी ने अपने सुप्रसिद्ध अदा में हल्का विराम लेते हुए कहानी बताना शुरू किया - विद्यालय में कुश्ती के लिए इंडिया और पाकिस्तान दो टीम बनाया था. बस यूं ही कुछ और दिमाग में नहीं आया. कुछ मुस्लिम बच्चे खुद ही पाकिस्तान टीम जॉइन कर लिये. मुझे बड़ा अजीब लगा.

अब माहौल कुछ ऐसा बन चुका है भारत का की हिंदू-मुस्लिम बात होते ही मुझे चिढ़ होने लगती है. मुझे लगता है मुझे शक के नजरिए से देखा जा रहा है. मैंने पूछ ही लिया, मुझे तो कुछ नहीं कह रही ना. जवाब ने इतना दुखी कर दिया कि अभी तक जेहन में है - "आप भी वैसे ही भाव कर रहे हैं", यह क्यों कहा?" 

इल्जाम पहले से है सर पे, कुछ भी कहो, लगना तो वही है कहते हुए मैंने कुछ और बातें शुरू कर दिया.

तिवारी जी और मेरे बहुसंख्यक भाइयों सुनो, टीवी पर जो ये दिन-रात हिंदू-मुसलमान और भारत-पाकिस्तान होता है न यह उसका भी असर है. बात-बात पर जो पाकिस्तान भेजा जाता है न, यह उसका भी असर है. यह बात सही है कुछ धार्मिक कारण भी है लेकिन सिर्फ एक यही कारण है ऐसा नहीं है. ऐसा नहीं है कि यह सिर्फ यहां के मुसलमान करते हैं. पाकिस्तान के हिंदू भी ऐसा करते होंगे. हमें यह बात सोचने की जरूरत है कि ऐसा माहौल ना बने जहां इस तरह की बातें हो सके. बेशक हर इंसान के अंदर वतन परस्ती होनी चाहिए, साथ में इंसानियत भी. 

आज धारा 370 ने मुझे फिर से उसी मोड़ पर खड़ा कर दिया है जहां ना खुलकर हंसा जा रहा है और ना ही चुप रहा जा रहा है. बंदोबस्त कराओ लाल किले की प्राचीर पर, वहां से कह दूं कि मैं धारा 370 के खात्मे का स्वागत करता हूं.

मैंने हमेशा सहमति को सर्वोपरे रखा है और रखता  रहूंगा. लेकिन अगर हमारा देश अलगाव के लिए  सहमति की राह पर चलेगा तो कई राज्य ऐसे हैं जो स्वायत्त होना चाहते हैं. फिर अंत क्या होगा कि भारत का वजूद ही मिट जाएगा. वर्तमान समय में राष्ट्र के रूप में एक पहचान जरूरी है. सुख के लिए भी, शांति के लिए भी, अमन और चैन के लिए भी.

भारत सरकार के इस फैसले के खिलाफ जा पाना अब अलगाववादियों के बूते की बात नहीं. जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग केंद्रशासित प्रदेश बना देना सरकार का बहुत ही रणनीतिक कदम है. लद्दाख एक बौद्ध बहुल इलाका है. जहां मुझे उम्मीद है कि कोई अशांति नहीं फ़ैलेगी. कश्मीर भी धीरे-धीरे शांत हो ही जाएगा.

लेकिन मेरा मानना है कि वहां दूसरे राज्यों के लोगों को संपत्ति खरीदने की इजाजत नहीं देनी चाहिए. ऐसा उसकी सुंदरता को लेकर मेरा अपना नजरिया है, नहीं तो आने वाले समय में कश्मीर घाटी को पटना और दिल्ली बनने में समय नहीं लगेगा. 

जाते-जाते एक बात और बता दूं, वक्त के हिसाब से पंडित नेहरू ने भी बहुत ही बढ़िया कदम उठाया था और आज की सरकार ने भी. तब भी दोनों की कोई तुलना नहीं!

"बाकी, चौथा सोमवार - राम मंदिर"

जय श्री राम!!


Md. Mustaqueem, M A in Communication, Doon University, Dehradun

The writer, a native of Gopalganj in Bihar, has worked as a special correspondent to the Indian Plan magazine in Uttrakhand and is currently working as a teacher in a government middle school in Siwan district of Bihar.